सैनिटाइजर के साथ सद्भाव-संवेदना का भी हो छिड़काव...

कोरोना लॉक डाउन के दौरान डॉ अतुल शर्मा ने कवियों को ऑनलाइन कवि गोष्टी के जरिए एक प्लेटफार्म पर लाने की पहल की है। अलग-अलग क्षेत्रों में रह रहे कवियों ने अपनी कविताओं के जरिए न सिर्फ लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक किया बल्कि साहित्य प्रेमियों का मनोरंजन भी किया। लखनऊ से प्रसिद्ध रंगकर्मी उर्मिल कुमार थपलियाल ने विश्व व्यापी महामारी में सकारात्मक रुख अपनाने और सावधानी बरतने का संदेश दिया। संचालन करते हुए देहरादून की कवयित्री रंजना शर्मा ने \"कोशिशें तो सदा आसमां की करे, बात जब भी करे तो जमीं की करे \" सुनाई। रुड़की के कवि श्रीगोपाल नारसन ने \"ऐसे दिन तो कभी न देखे, सडको पर सूनापन पसरा, आदमी आदमी से डरने लगा, कोरोना दौडकर जो आने लगा\" और ऋषिकेश के कवि शिव प्रसाद बहुगुणा ने \"समय मुश्किल है बहुत, पर दिव्य आत्मा का देश है, कई बाधाएं पार की है, यह भी कर लेंगे, हम लडकर जीतेंगे\" के जरिये कोरोना से जीतने का संदेश दिया। नैनीताल के जहूर आलम ने \"ये सन्नाटा तोड़ के आ...\" जनगीत सुनाया। डा. अतुल शर्मा ने \"लडते हुए लोग इस वायरस से जीतेंगे, मोर्चा होगी उनके घर की चारदीवारी, लडा़ई होगी कोरोना से स्वतंत्रत होने के लिए, निर्णायक युद्ध लड़ेंगे हम\" और इलाहाबाद के यश मालवीय ने \"ये करो ना वो करो ना, हो सजग लेकिन डरो ना,वायरस ही वायरस ही वायरस है \" के जरिये लोगों को जागरूक किया। डा. धनंजय सिह ने कहा \"हमने कलमें गुलाब की रोपीं थी, पर गमलों मे उग आई नागफनी\"। टिहरी गढ़वाल के अरुण रंजन ने \"सैनिटाइजर के साथ सद्भाव-संवेदना का भी हो छिड़काव\" के जरिये भाईचारे का संदेश दिया।